
बॉक्स ऑफिस पर हर फ्राइडे ढेरों फिल्में रिलीज होती हैं। कुछ फिल्मों को दर्शकों का भरपूर प्यार मिलता है और वो हिट हो जाती हैं तो कुछ फिल्में अपनी कमजोर पटकथा और निर्देशन की वजह से दर्शकों को लुभा नहीं पाती और बुरी तरह पिट कर औंधे मुंह गिर जाती हैं। हम भारतीयों को हर फिल्म में हैप्पी एंडिंग पसंद आती है और जिन फिल्मों की हैप्पी एंडिंग नहीं होती है वो न तो हमें कुछ खास पसंद आती है और न ही वो बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर पाती है।
हालांकि कभी कभी ‘हैप्पी एंडिंग’ न देने का प्रयोग सफल रहता जरूर है लेकिन साथ ही दर्शकों के भीतर यह मलाल भी कि काश कहानी का एंड सुखद होता।
बहरहाल, आज हम आपको कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में बतांएगे, जिनकी एंडिंग अगर हैप्पी-हैप्पी होती तो यकीनन दर्शकों को कोई मलाल न रहता।
इन 4 बॉलीवुड फिल्मों की होनी चाहिए थी अलग एंडिंग
1. रामलीला
रामलीला शेक्सपियर के रोमियो एंड जूलियट से प्रेरित कहानी थी। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म दो युद्धरत परिवारों के बीच की कहानी है। दो दुश्मन परिवारो के बच्चे (राम और लीला) एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और कैसे केवल कुछ गलतफहमियों के कारण दुश्मन बन जाते हैं इसी पर आधारित फिल्म है गोलियों की रासलीला – राम लीला।
कहानी के अंत मे राम और लीला एक-दूसरे के हाथों मरने का फैसला करते हैं क्योंकि वे प्रेमी हैं और इस मौत को अपने परिवारों द्वारा मारे जाने की तुलना में ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि निर्देशक इस कहानी में दोनों प्रेमियों के लिए एक हैप्पी एंडिंग लिख सकता था और दोनों का न मरना सदियों पुरानी कहानी में एक अलग मोड़ होता।
2. आशिकी 2 की एंडिंग ने काफी दुखी किया था
2013 में रिलीज हुई यह फिल्म साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक थीऔर दर्शकों ने इसे खूब पसंद भी किया लेकिन फ़िल्म के अंत ने दर्शकों को काफी ज्यादा निराश किया। श्रद्धा कपूर और आदित्य रॉय कपूर अभिनीत, ‘आशिकी 2’ राहुल (आदित्य) और आरोही (श्रद्धा) की लव स्टोरी है। मोहित सूरी के निर्देशन में बनी यह फिल्म 1990 में आई फिल्म आशिकी का सीक्वल है।
राहुल और आरोही की प्रेम कहानी पर यह फिल्म थी। राहुल पहले आरोही को एक सफल सिंगर बनता है लेकिन बाद में उसकी लोकप्रियता से खुद के लिए बुरा महसूस करता है। वह शराब पीने का आदी होता है।
आरोही राहुल के लिए सब कुछ छोड़कर उसकी देखभाल को तैयार हो जाती है लेकिन राहुल आखिरी में आत्महत्या कर लेता है। वह आरोही के लिए बोझ या रूकावट नहीं बनना चाहता था। अगर दोनों एक नई शुरुआत करते तो फिल्म का अंत बेहतर होता।
3. काई पो चे
चेतन भगत के प्रसिद्ध उपन्यास द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ पर आधारित, ‘काई पो चे’ से टीवी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था। फ़िल्म मे तीन दोस्तों की कहानी जिनकी किस्मत आपस में जुड़ी हुई है, वास्तव में दिल को छू लेने वाली कहानी थी। अंत में, जब गोधरा दंगों की पृष्ठभूमि में सुशांत के कैरेक्टर ईशान को उसके दोस्त ओमकार (अमित साध) द्वारा शूट किया जाता है यह कहानी का दुःखद पहलू था।
हालांकि दर्शकों ने कहानी को अलग रूप दिए जाने की पैरवी की और यह माना कि ईशान के मरने के बजाय, शायद वे ओंकार को अली को बचाने में उसकी मदद करते हुए दिखा सकते थे और उसे एक क्रिकेटर बनने के लिए तैयार कर सकते थे।
हालांकि फिल्म में सुशांत का करैक्टर थोड़ा स्वार्थी था लेकिन अली को वह महान क्रिकेटर बनने में मदद करने में निस्वार्थ भी था जो वह अंततः बन गया। इसलिए उसकी हत्या की उम्मीद तो फ़िल्म में बिल्कुल भी नहीं थी।
4. हम दिल दे चुके सनम
संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘हम दिल दे चुके सनम’ बॉक्स-ऑफिस पर काफी ज्यादा हिट रही और सलमान और अजय देवगन दोनों के साथ ऐश्वर्या की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को काफी पसंद किया गया था। यह पहली बार था जब तीनों एक साथ स्क्रीन शेयर कर रहे थे।
समीर (सलमान खान) और नंदिनी (ऐश्वर्या राय बच्चन) की प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म खुद को दर्शकों से कनेक्ट कर पाने में सफल रही। फिल्म में अजय देवगन को भी खूब पसंद किया गया था। उनका चरित्र वनराज नंदिनी से शादी कर लेता है। अंत में, जब वनराज नंदिनी और समीर को मिलाता है, तो नंदिनी का हृदय परिवर्तन होता है और वह अपने प्रेमी के साथ भागने के बजाय वनराज के साथ रहने का फैसला करती है।
लोगों ने नंदिनी और समीर के किरदार और केमिस्ट्री को इतना पसंद किया कि वे चाहते थे कि उसकी एंडिंग अलग हो। वनराज को नंदिनी और समीर को फिर से मिलाना चाहिए और शायद किसी और से शादी करनी चाहिए।