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बॉलीवुड की 7 फिल्मों के ऐसे 7 Scenes, जिन्होंने बताया कि प्यार में सहना नहीं कहना जरूरी है

फरवरी का महीना प्यार का महीना कहलाता है। इस महीने में वैलेंटाइंस वीक मनाया जाता है, और इन दिनों फरवरी का महीना ही चल रहा है, इसीलिए चारों तरफ प्यार का माहौल है। लोग अलग- अलग अंदाज में एक दूसरे से प्यार का इजहार करने में लगे है। ये दिन ऐसे होते है, कि इन दिनों की हवाओं में भी प्यार घुल जाता है और ये हवाएं भी प्यार भरी लगती है। कहीं ना कहीं हम सभी ने प्यार को ख्वाबों में, जितना खूबसूरत बना दिया है। लेकिन दूसरी ओर कुछ हकीकतें ऐसी है, जो थोड़ी दर्दनाक होती है। कभी कभी प्यार ऐसा भी होता है, जो मतलबी और धोखेबाज होता है। जिसके लिए हर लड़की को आवाज़ उठानी चाहिए। ना कि यह सोचना चाहिए कि प्यार है सुधर जाएगा। क्योंकि सुधरने पर भी जिंदगी जी नहीं जाती बल्कि ऐसा करना चाहिए जैसा कि इन फिल्मों में दिखाया गया है।

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1- थप्पड़ (Thappad)

अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी फिल्म थप्पड़ 2020 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में तापसी पन्नू ने एक हाउस वाइफ की भूमिका अदा की है। जो अपने पति के लिए सब कुछ करती है लेकिन एक थप्पड़ के कारण उनके रिश्ते बिखर जाते है और इसकी वजह से ही वे अपने पति को सबक सिखाती है कि प्यार में तिरस्कार बिल्कुल सहनीय नहीं है।

2- सनम तेरी कसम (Sanam Teri Kasam)

इस फिल्म का निर्देशन राधिका राव और विनय सप्रू ने किया है। इस फिल्म में हर्षवर्धन राणे ने इंदर और पाकिस्तानी अभिनेत्री मावरा हुसैन ने सरस्वती का अहम किरदार निभाया है। फिल्म में सरस्वती एक बहुत ही सीधी-साधी लड़की है। जिसको समाज की चकाचौंध से कोई मतलब नहीं है लेकिन बावजूद इसके वह अपने आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दोनों की रक्षा करना बहुत ही अच्छे से जानती है। इसीलिए जब इंदर उसको घर से चले जाने को कहता है तो वह उसको बताती है कि यह गलत था और ऐसा नहीं होना चाहिए था। उसके बाद दोनों के बीच में प्यार हो जाता है।

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3- पिंक (Pink)

पिकं फिल्म तीन ऐसी लड़कियों की कहानी है, जो घर से दूर रहकर नौकरी कर रही होती है और अपनी लाइफ अपने तरीके से जीती है। लेकिन समाज की सोच से बने हुए लड़के उनकी अपनी प्रॉपर्टी समझने लगते है। ये लड़कियां उनकी इसी सोच का मुंहतोड़ जवाब देती है। इस फिल्म को अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने निर्देशित किया था और इसमें अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हारी, अंगद बेदी एंड्रिया तारियांग, पीयूष मिश्रा और धृतिमान चटर्जी मुख्य भूमिका में दिखाई दिए थे।

4- क्या कहना (Kya Kehna)

कुंदन शाह द्वारा निर्देशित इस फिल्म में एक ऐसी लड़की प्रिया की कहानी है जो सच्चा प्यार करती है और अपना सब कुछ अपने प्यार के हवाले कर देती है। लेकिन लड़का इसका फायदा उठाता है और उसे धोखा दे देता है और लड़की बिन ब्याही मां बन जाती है। वह समाज और परिवार से लड़कर अपने बच्चे को जन्म देती है। उसके कुछ वक्त बाद उस बच्चे का पिता अपना हक जताने के लिए आ जाता है। लेकिन वह उस लड़के को सबक सिखाती है और सही-गलत समझाती है लेकिन उसके साथ जाने से इनकार कर देती है। इसमें बिनब्याही मां की भूमिका प्रीति जिंटा (Preity Zinta) और धोखेबाज पिता की भूमिका सैफ अली खान ने निभाई थी।

5- इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish)

प्यार कितना भी गहरा हो लेकिन परीक्षा मांगता ही है। ऐसी ही कुछ कहानी फिल्म इंग्लिश विंग्लिश (English Vinglish) की है। इस फिल्म में दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी और आदिल खान मुख्य भूमिका में है। इसमें श्रीदेवी एक ऐसे किरदार को निभा रही थी। जिसको इंग्लिश बिल्कुल समझ नहीं आती, लेकिन भावनाओं को समझती है। बस इंग्लिश नहीं आने से वह घर के किसी अन्य सदस्यों से अपने पति की नजरों में एक पुराने सामान के जैसी हो जाती है लेकिन अपने परिवारों वालों को अपनी अहमियत बताने के लिए वह इंग्लिश सीखती है और उनको समझाती है कि लाइफ में इग्लिंश ही सब कुछ नहीं होती है।

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6- प्यार का पंचनामा 2 (Pyaar Ka Punchama 2)

केवल लड़कियों की फीलिंग्स के साथ ही खिलवाड़ नहीं होता, बल्कि कभी-कभी लड़कों के साथ भी ऐसा होता है। जिसे प्यार का पंचनामा जैसी फिल्में साबित करती है। इस फिल्म का पहला और दूसरा, दोनों ही पार्ट बेहद जबरदस्त थे, लेकिन दूसरे भाग में कार्तिक आर्यन यानि अंशुल जिस प्रकार नुस्रत भरूचा यानि रुचिका खन्ना को उनकी गलतियों का एहसास कराते हैं वो हर उस रिलेशनशिप में बेहद जरूरी है, जिसमें पार्टनर्स एक-दूसरे की रिस्पेक्ट नहीं करते।

7- कबीर सिंह (Kabir Singh)

फिल्म कबीर सिंह (Kabir Singh) की कहानी को पसंद करने वाले जितने थे उससे कहीं ज्यादा नापसंद करने वाले भी थे, लेकिन अगर इन सबसे ऊपर उठकर देखें। तो ये दो लोगों के प्यार की कहानी थी। जो प्यार के खातिर कुछ भी बर्दाश्त करने के लिए तैयार थे, लेकिन हर बर्दाश्त करने की भी एक हद होती है, जो कभी पार नहीं होनी चाहिए। इसलिए जब वह हद पार होती है, तो कियारा आडवाणी यानि प्रीति अपने प्रेमी शाहिद कपूर यानि कबीर सिंह को छोड़कर चली जाती है। फिर वो दोनों जब दोबारा मिलते हैं तो कबीर सिंह को अपनी गलती का एहसास होता है और दोनों एक हो जाते हैं।

एक ऐसा व्यक्ति जिसके लिए आप सब कुछ करते हो, उसकी फैमिली को संभालते हो, उसको संभालते हो लेकिन जब वह प्यार के नाम पर आपको केवल तिरस्कार देता है ऐसा व्यक्ति फिर चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की उसे अपनी अहमियत समझाना और प्यार की सीमा तय करना बेहद जरूरी हो जाता है।

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