वो महत्वपूर्ण वस्तुएं जिनका अविष्कार गलती से हुआ था
हमारी इस दुनिया मे आज तक बहुत सी खोज और अविष्कार हुए और हर एक खोज ने हमारी ज़िंदगी को और भी आसान किया है। आविष्कार इस दुनिया के छुपे हुए रहस्यों से पर्दा उठाने का काम करते हैं। वैज्ञानिक और अविष्कारक सालों मेहनत करके न जाने कितने परीक्षण करते हैं, पर इन सबके बावज़ूद बिरले ही वो कोई ऐसी खोज कर पाते हैं जिससे मानवता को फ़ायदा हो। कई बार तो ऐसा भी होता है कि वैज्ञानिक ढूंढ़ना कुछ और चाहते हैं पर मिल कुछ और ही जाता है।
आज हम आपको सात ऐसी खोजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका हमारी ज़िंदगी मे बहुत महत्व है। लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि ये सभी खोज ग़लती से हुई थी। और इन्हें पढ़कर आपको भी लगेगा कि काश आपसे भी कोई ऐसी ही फ़ायदे वाली ग़लती हो जाये। तो फिर चलिए अब आपको बताते हैं सात ऐसी ही बड़ी खोज के बारे में जो धोखे से हुई।
1.) कोकाकोला:
गर्मी का मौसम हो और ठंडक चाहिए हो तो अधिकतर सॉफ्टड्रिंक की ओर ही ध्यान जाता है। इसमे कोई शक नही कि कोकाकोला दुनिया के सबसे फेवरेट ड्रिंक में से एक है। पर कोकाकोला की खोज जान बूझकर नही की गई थी। बहुत से लोगों को ये बात नही पता पर कोकाकोला की रेसिपी किसी शेफ़ ने नहीं बल्कि एक फार्मासिस्ट ने तैयार की थी।
वास्तव में, कोकाकोला का अविष्कार करने वाले जॉन पेम्बर्टन दरअसल एक ऐसा ड्रिंक बनाना चाहते थे जो लोगों के पेट की ख़राबी को ठीक कर सके और बीमारों की मदद कर सके। अब देखिए आजकल इन्हीं सॉफ्टड्रिंक्स का इतना क्रेज हो गया है कि अब ये अपने आप में एक टेस्ट है। और, गर्मियों के दिनों के अलावा भी इस मशहूर ड्रिंक से हम ताजगी लेते रहते हैं।
2.) पेनिसिलिन:
पेनिसिलिन एक ऐसी दवा है जिसने दवा की दुनिया मे ही क्रांति ला दी थी। पेनिसिलिन दुनिया का पहला एंटीबायोटिक है जिसका अविष्कार 1928 में डॉ अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा की गई थी। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये खोज अनजाने में या यूँ कहें कि किस्मत से हुई थी।
दरअसल डॉ अलेक्जेंडर छुट्टी पर जा रहे थे, और छुट्टी पर जाने से पहले उन्होंने गलती से स्टैफिलोकोकस ऑरियस को खुला छोड़ दिया। बाद में उन्होंने देखा कि पेट्री डिश ने उसके ऊपर इस एक साँचे के बढ़ने के कारण बैक्टीरिया का विकास रुक गया है। और ये साँचा कुछ और नही बल्कि पेनिसिलियम नोटेटम का था। तो इस तरह ग़लती से पेनिसिलिन की खोज हुई।
3.) सेफ्टी ग्लास:
आज जिस सेफ्टी ग्लास का उपयोग कारों के लिए विंडशील्ड बनाने में, कई मशीनरी और कई बड़ी बिल्डिंग्स के लिए खिड़कियों और दरवाजे बनाने के लिए किया जाता है उसकी खोज भी गलती से हुई थी। सेफ्टी ग्लास का अविष्कार एक कदम फिसल जाने का नतीजा है।
जी हाँ, एकदम सही पढ़ा आपने, वर्ष 1903 में वैज्ञानिक एडवर्ड बेनेडिक्टस अपनी प्रयोगशाला में काम कर रहे थे तभी अचानक से उनका पैर फिसला और वो एक फ्लास्क पर जा गिरे। पर जल्दी ही उन्हें ये देखकर बड़ी हैरानी हुई कि वो फ्लास्क टूट कर टुकड़ों में बिखरने के बजाय बिल्कुल ठीक है।
तब उन्होंने ध्यान से देखा और पाया कि फ्लास्क के ऊपर सेल्युलोज नाइट्रेट लिक्विड प्लास्टिक की परत चढ़ी हुई थी। तो इस तरह से बाद में उन्हें ये समझ मे आया कि लिक्विड प्लास्टिक की इस परत के कारण काँच अब पूरी तरह से सेफ है, और इस तरह से सेफ्टी ग्लास की खोज पूरी हुई।
4.) वल्केनाइज्ड रबर:
वैसे ये कहना तो सही नही होगा कि वल्केनाइज्ड रबर का बनना पूरी तरह से गलती थी। दरअसल इसके अविष्कारक चार्ल्स गुडइयर बहुत समय से एक ऐसा रबर बनाने की कोशिश कर रहे थे जिसपर मौसम का असर ना हो। लेकिन चार्ल्स गुडइयर को 1839 तक असफलता ही हाँथ लगी थी।
हालांकि, एक दिन चार्ल्स ने ग़लती से गर्म चूल्हे पर सीसा, सल्फर और रबर गिरा दिया। बाद में उन्हें यह जानकर बहुत ख़ुशी और अचंभा हुआ कि इतनी गर्मी के बाद भी रबर खराब नही हुआ। और अब देखिए यही एक गलती आपकी गाड़ियों को चलाती है । मुख्य रूप से टायर के उत्पादन और जूते बनाने में इस विधि का उपयोग किया जाता है।
5.) स्टेनलेस स्टील:
हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में हम स्टेनलेस स्टील से बनी चीज़ों का इतना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं कि इन्हें गिन पाना आसान नहीं होगा। चाहे खाना पकाने वाले बर्तन हो या लिफ्ट को ऊपर-नीचे ले जाने वाले बेल्ट हों। या फिर गैस और पेट्रोलियम को लाने वाले पाइप हो। ऐसी हज़ारों चीज़ें है जो स्टील से बनी होती है और उनके बिना हमारा काम ना घर में चल सकता है और ना ही घर के बाहर। यदि यह कहा जाए कि स्टेनलेस स्टील हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके तो बिल्कुल गलत नही होगा।
स्टेनलेस स्टील जितना उपयोगी है उसकी खोज भी उतनी ही रोचक थी। हैरी बियर्ली नामक वैज्ञानिक एक ऐसा बैरल बनाना चाहते थे जिसमे जंग ना लगे। ऐसा बैरल बनाते वक्त उन्होंने ग़लती से ही स्टेनलेस स्टील का निर्माण कर दिया।
हैरी ने देखा कि कार्बन धातु नहीं है लेकिन जब इस कार्बन का छोटा-सा अंश पिघले हुए लोहे में मिलाया जाता है तो बनने वाला पदार्थ, कार्बन से बिलकुल अलग होता है और लोहे से कहीं ज्यादा मजबूत भी होता है यही पदार्थ स्टील कहलाता है।
6.) टेफ्लॉन:
रॉय प्लंकेट नामक वैज्ञानिक जब ड्यूपॉन्ट कंपनी के लिए रेफ्रिजरेटर बना रहे थे तब उन्होंने गलती से टेफ्लॉन की खोज कर दी थी। रेफ्रिजरेटर बनाने का प्रयास करते समय उनका ध्यान तेज़ आँच के संपर्क वाली एक जगह पर गया। उन्होंने गौर किया कि जिस मटेरियल को वो देख रहे हैं उसमे ज़्यादा तापमान के बाद भी चीजें चिपकती नही हैं और तेज लपटों का भी उसपर कोई असर नही पड़ता था।
इससे रॉय के दिमाग में एक विचार आया और फिर टेफ्लॉन का अविष्कार हुआ। आज लगभग हर घर में अलग-अलग प्रकार के पकवान बनाने के लिए नॉन-स्टिक बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है। इसलिए आप समझ सकते हैं कि नॉन-स्टिक पैन या नॉन स्टिक बर्तनों के लिए टेफ्लॉन कितना ज़रूरी होता है।
7.) पेसमेकर:
आज दुनिया में अक्सर लोग दिल से संबंधित बीमारियों का शिकार होते है। हमारा खाना पीना और दिन भर के काम की वजह से हम इन सब कई बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। इसी दौरान सबसे मुश्किल वक़्त का सामना हम तब करते है जब हमारा दिल ठीक से धड़कना छोड़ देता है। जब हमारा दिल कुदरती तौर से धड़कना बंद करता है तो पेसमेकर इस्तेमाल करता है।
आपको बता दें कि पेसमेकर का अविष्कार भी अनजाने में ही हुआ था। दरअसल विल्सन ग्रेटबैच नाम के वैज्ञानिक गर्भनिरोधक उपकरण बनाने की कोशिश कर रहे थे पर उन्होंने गलती से एक ऐसा उपकरण बनाया जो दिल की धड़कन की नकल करता है। फिर क्या था, जिन लोगों का हृदय पूरी तरह से ब्लॉक हो जाता है आज भी उनकी सहायता के लिए सर्जरी की दुनिया में पेसमेकर का उपयोग किया जाने लगा।