साउथ की फिल्मों में सफलता के बाद हिंदी फिल्मों में पहचान बनाने वाले आर माधवन का बयान
मनोरंजन जगत में साउथ के साथ-साथ बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाले अभिनेता आर माधवन इन दिनों फिल्म ‘रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट’ के लिए खूब चर्चाओं में है। और जल्दी ही आर माधवन की नई फिल्म ‘रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट’ रिलीज होने वाली है। और इन दिनों वह अपनी आने वाली फिल्म ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’ के प्रचार में लगे हुए है
बॉलीवुड बनाम साउथ सिनेमा
हाल ही में हुए एक इंटरव्यू के दौरान आर माधवन ने उत्तर बनाम दक्षिण फिल्मों की बहुचर्चित बहस पर अपनी राय रखते हुए खुलासा किया और कहा यह सच है कि बाहुबली 1 और 2, आरआरआर, केजीएफ 1 और 2 और पुष्पा अखिल भारतीय फिल्में है। जिन्होंने हिंदी फिल्मों से अधिक कमाई की है। शायद इन फिल्मों की पूरे देश में फैन फॉलोइंग ज्यादा थी। या फिर ये सभी बड़े पैमाने पर बनाई गई थीं।
हिंदी फिल्मों की सफलता पर बोले माधवन
साथ ही उन्होंने कहा, कि इन फिल्मों की सफलता का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि हिंदी फिल्में कामयाब नहीं हुई है। अगर सफलता की बात की जाएं तो फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी, द कश्मीर फाइल्स और भूल भुलैया 2 सभी फिल्मों बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है। ऐसा नहीं है कि ये सभी फिल्में छोटी हिट थी। सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई।
उन्होंने कहा, कि मुझे लगता है कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों में भी बदलाव आया है। और लोगों का धैर्य कम हो गया है। शायद कहाने के भीतर की गति को तेज करने की जरूरत है। शायद जिन हिंदी फिल्मों में सफलता नहीं मिली। उनमें रसीली कहानी नहीं थी। जो दर्शकों को यह विश्वास दिला सके। कि कहानी अच्छी गति से आगे बढ़ रही है। इसके अलावा आर माधवन का मानना था कि जो भी फिल्में सफल साबित हुई है
उनमें उनके प्रमुख कालाकारों की कोशिशों से दर्शक प्रभावित हुए है। उन फिल्मों के अभिनेताओं ने बहुत मेहनत की है। फिल्म आरआरआर में एनटीआर जूनियर और राम चरण की कोशिशों ने लोगों को प्रभावित किया। फिल्म पुष्पा में अल्लू अर्जुन ने अपने चरित्र के साथ अपने नृत्य को संतुलित करते हुए अभूतपूर्व काम किया। मुझे लगता है कि दर्शक इन अभिनेताओं के कोशिशों की सराहना करने में सक्षम हैं। जबकि उनकी फिल्मों को बनाने में महीनों नहीं बल्कि सालों लग जाते हैं।
सिनेमा को लेकर बहस करना बेकार
आर माधवन ने अपनी राय साझा करने के बाद यह इंगित किया, कि सभी तर्क फिल्म उद्योग के रुझानों के लिए अप्रासंगिक थे। उन्होंने सुझाव दिया। कि अगरर सच कहूं तो इन चीजों का विश्लेषण करना बेकार है। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में अन्य फिल्में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। और अनुसरण करने के लिए एक नया पैटर्न स्थापित करेंगी। मुझे नहीं लगता कि जब हमारे फिल्म उद्योग की बात आती है तो हम पहले से ही कुछ भी भविष्यवाणी कर सकते हैं।