नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने आरआरआर और केजीएफ चैप्टर 2 पर उठाए सवाल, पूछा इन फिल्मों में कहा है सिनेमा
कोरोना वायरस यानी कोविड 19 के कारण पूरी दुनिया को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। इसमें फ़िल्म इंडस्ट्रीभी पीछे नहीं है। हालांकि, अब द कश्मीर फाइल्स, आरआरआर, और केजीएफ चैप्टर 2 जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रिलीज होने के साथ ही ऐसा लग रहा है कि फ़िल्म इंडस्ट्री एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी। हालांकि, ऐसा लगता है कि, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेताओं में अपना नाम शुमार कर चुके नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को यह अच्छा नहीं लग रहा है।
बड़े बजट वाली फिल्मों में सिर्फ विजुअल इफेक्ट्स
गौरतलब है कि, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं और अपने बोल्ड बयानों से सुर्खियों में बने रहते हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में केजीएफ चैप्टर 2 और आरआरआर जैसी भारी विजुअल इफेक्ट्स वाली फिल्मों को लेकर सवाल उठाया है क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसी फिल्मों में सिनेमा नहीं है। साथ ही उन्होंने, कम बजट वाली अन्य फिल्मों को लेकर चिंता भी जताई है।
हाल ही में हुई एक बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या कमर्शियल सिनेमा में मेन लीड को लेकर बदलाव है हुआ है या नहीं तो उन्होंने खुलकर जवाब देते हुए कहा ”मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ बदलाव हुआ है। मैं मंटों में लीड रोल में था लेकिन उसे देखने के लिए कितने लोग गए?”
हिट हो रही फिल्मों में नहीं है सिनेमा: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने आगे कहा कि, ”मैंने सोचा था कि 2 साल की महामारी के बाद लोगों ने वर्ल्ड सिनेमा देखा होगा जिससे बदलाव होगा। लेकिन जिस तरह की फिल्म्स अभी हिट हो रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि सलाहियत गई तेल लेने, यहां एंटरटेन करो और सुपरफिशियल लेवल पे एंटरटेन करो लोगों को बस।”
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने आगे कहा, “महामारी के कारण 2 साल हम घर में थे। ऐसे में लोगों ने पूरी दुनिया का सिनेमा देखा होगा तो कुछ सलाह आएगी।” वास्तव में, आजकल लोग कंटेंट की तलाश में नहीं हैं और अभी जो हिट फिल्में सामने आ रहीं हैं उससे यह पता भी चलता है। “जिस तरह की फिल्म्स अभी हिट हो रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि सलाहीयत गई तेल लेने।”
हम सभी जानते हैं कि, आरआरआर और केजीएफ हालिया ब्लॉकबस्टर मूवीज हैं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस में करोड़ों की कमाई है।वास्तव में ऐसी फिल्मों के आ जाने से दर्शकों को वास्तविक सिनेमा या एक्टिंग देखने को बहुत कम मिल पाती है। क्योंकि वे विजुअल इफेक्ट्स की चकाचौंध में फंस कर जाते हैं और ये फिल्में करोड़ो रूपये कमा लेती हैं।