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‘मेहंदी’ से लेकर ‘थप्पड़’ तक, इन 9 फिल्मों में घरेलू-हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाई गई है।

घरेलू हिंसा आज के समय एक गंभीर समस्या बन चुकी है । जिस पर खुलकर बात करना बहुत जरूरी हो गया है। इस दुनिया में ना जाने कितनी ऐसी औरतें है जो शांत सबकी मर्जी से काम करने के बावजूद भी मार खा रही है। उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। इस कदर उनको डराया और धमकाया जाता है कि वह किसी से कहना तो दूर की बात है अपने चेहरे पर एक शिकन भी नहीं आने देती है। अगर बात असल जीवन में तो महिलाएं इस मुद्दें पर बात करने से भी बचती है।

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लेकिन बॉलीवुड फिल्में किसी भी ऐसे मुद्दे को यूं ही नहीं जाने देती। समाज की बुराई और अच्छाई दोनों को ही फिल्मों में बहुत अच्छे तरीके से दिखाया जाता है। कुछ ऐसी ही फिल्में है जो कि घरेलू-हिंसा को लेकर बनाई गई है। जिसमें अभिनेत्री इस अत्याचार के खिलाफ हिम्मत के साथ लड़ती है। ऐसी फिल्में हर उस औरत को जरूर देखनी चाहिए। जो इस नरक से जूझ रही है। उसमें भी अपने साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आ पाए।

1- ख़ून भरी मांग (1988

कबीर बेदी, राकेश रोशन और रेखा द्वारा अभिनीत इस फिल्म की कहानी दिल को छू लेने वाली है। जिसमें रेखा आरती नाम की भूमिका निभाती है। और कबीर बेदी के संजय की भूमिका निभाते है। रेखा ने इस फिल्म में दो बच्चों की विधवा मां की भूमिका निभाई है। जिसको कबीर बेदी से प्रेम हो जाता है।लेकिन कबीर बेदी रेखा के साथ धोखा करता है और उसको मगरमच्छ की झील में फेंक देता है। लेकिन रेखा किसी तरह से बच जाती है और इस धोखे का बदला लेती है।

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2- अग्नि साक्षी (1996

नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला (Manisha Koirala)द्वारा अभिनीत इस फिल्म ने हम सभी को यह सिखाया है कि हद से ज्यादा कुछ भी ठीक नहीं होता है। हद से ज्यादा प्यार भी नहीं। फिल्म में नाना पाटेकर को अपनी पत्नी मनीषा कोइराला जिन्होंने मधु का किरदार निभाया था, उनके लिए बहुत ही स्नेह और प्यार दिखाया गया था। लेकिन यही प्यार मधु के लिए पागलपन में बदल जाता है इसलिए वह उसको छोड़कर भाग जाती है। फिल्म में नाना पाटेकर को बहुत ही आक्रामक और पॉजेसिव दिखाया गया था।

3- राजा की आएगी बारात (1997)

फिल्म राजा की आयगी बारात में रानी मुखर्जी (Rani Mukerji) एक ऐसे इंसान से शादी कर लेती है जिसने उसके साथ रेप किया होता है। उसको ऐसा लगता है, कि इसके बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन रानी को शादी के बाद भी प्रताड़ित किया जाता है। लेकिन रानी हार ना मानते हुए इसका जवाब वह डटकर देती है और आखिरी में माला को अपने पति का प्यार हासिल हो जाता है और वह उसको अपना बना लेती है इसके अलावा बाकी गुनाहगारों को भी सजा देती है।

4- मेहंदी (1998)

साल 1998 में रिलीज हुई फिल्म मेहंदी में रानी मुखर्जी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूजा का किरदार निभाया था। वह अपने ससुरालवालों और पति की गंदी गालियों, अत्याचारों की हर लिमिट्स को तोड़ती है। यह फिल्म एक बुरे सपने के जैसी है, कि केवल दहेज के लिए किसी के घर में एक बहू को कितनी बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता है। जिसको देखकर अच्छे-अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे। लेकिन पूजा इस पर शांत नहीं बैठती है और मुंहतोड़ जवाब देती है। सभी को सबक सिखाती है।

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5- दमन (2001)

फिल्म दमन में अभिनेत्री रवीना टंडन (Raveena Tandon) ने दुर्गा की भूमिका निभाई है। फिल्म में दुर्गा की शादी एक ऐसे आदमी से हो जाती है जो उसको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ना देता है। एक दिन दुर्गा अपने बच्चों को लेकर भाग जाती है। और अपने पति का मर्डर करा देती है। यह फिल्म कल्पना लाज़मी की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है और इस फिल्म के लिए रवीना टंडन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार की दिया गया था।

6- प्रोवोक्ड (2006)

ऐश्वर्या राय बच्चन (Aishwarya Rai Bachchan) की फिल्म प्रोवोक्ड एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी है। जो अपने पति के अत्याचारों को 10 सालों से सहन कर रही होती है। एक दिन परेशान होकर वह उसको मौत के घाट उतार देती है। इस फिल्म की शूटिंग लंदन में की गई है।

7- आकाश वाणी (2013)

फिल्म आकाशवाणी लव रंजन के द्वारा निर्देशित फिल्म है जिसमें मैरिटल बलात्कार के मुद्दे को उठाया गया है। जब हम किसी के साथ भी जबरदस्ती संबंध बनाते है या किसी के साथ कुछ भी गलत करते है फिर चाहे वह पत्नी ही क्यों ना हो? इस फिल्म का मुद्दा बेहद ही गंभीर है और इसमें नुशरत बरूचा ने पूरी ईमानदारी दिखाई है।

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8- थप्पड़ (2020)

अभिनेत्री तापसी पन्नू की इस फिल्म ने हमको दिखाया कि वजह चाहे जो भी हो, शारीरिक शोषण हर तरीके से गलत है। यह फिल्म हमे जो संदेश देती है वह बिल्कुल साफ और सटीक है। एक ही थप्पड़ काफी होता है जो इंसान की ताकत को बढ़ाता है। इसीलिए उसको रोका जाना बहुत ही जरूरी होता है।

9- डार्लिंग्स (2022)

जसमीत के. रीन के द्वारा लिखित यह फ़िल्म समाज में फैल रही पितृसत्ता के ख़िलाफ़ मुंहतोड़ जवाब है। यह फिल्म हमें बताती है, कि चुप रहकर नहीं बल्कि परिस्थितियों से लड़कर ही उनको हरा सकते है। इस फिल्म में आलिया भट्ट, विजय वर्मा और शेफ़ाली शाह ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

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