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बॉलीवुड की 8 रोमांटिक फिल्में, जिन्होंने प्यार की एक नई परिभाषा गढ़ी हैं

बॉलीवुड अब तक कई रोमांटिक जॉनर की फिल्मों का निर्माण कर चुका हैं। जिनमें से कई फिल्में ऐसी भी हैं,जिन्होंने प्यार को एक नए सिरे से परिभाषित करने के लिए कई स्टीरियोटाइप तोड़े हैं। यदि आप उनमें से एक हैं,जो रूढ़ीवादी सोच वाली प्रेम कहानियों से इतर कुछ अपारंपरिक कहानियों को पसंद करते हैं। तो आइए आपको हम कुछऐसी ही फिल्मों के बारे में बताते है जिन्होंने प्यार की नई परिभाषा को सिखाया है।

1- बर्फ़ी

 
2012 में रिलीज हुई बर्फी अनुराग बसु के निर्देशन में बनी एक रोमांटिक हास्य हिंदी फिल्म है। फिल्म की कहानी 1970 के दशक में घटित हुई दार्जलिंग के एक गूंगे और बहरे व्यक्ति मर्फी जॉनसन के जीवन को दर्शाती है जिसमें उसको दो महिलाओं श्रुति और उसके बचपन की दोस्त झिलमिल से प्यार हो जाता है। यह फिल्म यह दर्शाती हैं कि कैसे रोमांटिक रिलेशनशिप के साथ वक्त के साथ मैच्योर और विकसित होती है। फिल्म में रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डी क्रूज मुख्य भूमिका में नजर आए हैं।

2- द लंच बॉक्स

 
द लंच बॉक्स रितेश बत्रा के द्वारा निर्देशित 2013 में रिलीज हुई फिल्म है। यह फिल्म साधारण सी कहानी को भी बेहद बेहतरीन तरीके से बताती है। फिल्म में ऐसे दो लोगों की कहानी के बारे में बताया गया है जिनके रास्ते एक-दूसरे से ग़लत डिलीवरी के कारण मिलते हैं। इस फिल्म में उन दो लोगों की एक ख़ूबसूरत कहानी है,जो फ़ूड और अपने लाइफ के अकेलेपन के चलते एक-दूसरे से बॉन्डिंग बनाते हैं। इस फिल्म को 2013 के कान फिल्म महोत्सव में भी प्रदर्शित किया जा चुका है। फिर बाद में इसको ग्रांड रैल डोर में भी दिखाया गया है। फिर बाद में ये फिल्म क्रिटिक्स सप्ताह दर्शकों की पसंद अवार्ड भी हासिल कार चुकी है यह अवार्ड ग्रांड रेल डी के नाम से भी पहचाना जाता है।

3- हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड

 
हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड फिल्म साल 2007 में रिलीज हुईं थी। इस फिल्म में 6 ऐसे अलग अलग कपल्स की कहानी को दिखाया गया है जो अपने हनीमून पर आए थे। ये सभी कपल्स अलग अलग एज ग्रुप के होते हैं। लेकिन रिलेशनशिप के बारे में बेहद कीमती पाठ दर्शकों को पढ़ाते हैं। अगर अभी तक आपने यह फिल्म नहीं देखी है,तो आपको एक बार ज़रूर देख लेनी चाहिए।

4- चीनी कम 

आर बालकृष्णन के निर्देशन में बनी फिल्म चीनी कम (Cheeni Kum) 2007 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म की कहानी में एक 64 साल के व्यक्ति को एक 34 साल की महिला से प्यार हो जाता है। यह कहानी ऐसी है, जो शायद पारंपरिक सोच के दायरे में अनफिट बैठे। लेकिन इसके डायरेक्टर ने इस सेंसिटिव प्रोब्लम को बेहद समझदारी के साथ दर्शकों के सामने पेश किया था।

5- वंस अगेन

 यह फिल्म भी दो मिडिल एज व्यक्तियों के बारे में है, जो प्यार को एक दूसरा अवसर देते हैं। इस फिल्म में नीरज काबी एक उम्रदराज़ सुपरस्टार की भूमिका निभाते हैं। जिसका तलाक हो गया है और अपनी बेटी की कस्टडी अपनी एक्स-वाइफ़ के साथ साझा करते हैं। इस फिल्म में शेफ़ाली शाह ने एक विधवा की भूमिका निभाई है। जिसका मुंबई में एक छोटा सा खुद का रेस्तरां है। ये अपारंपरिक फिल्म दो मिडिल एज व्यक्तियों का अकेलापन और उनकी इंटीमेसी की चाहत को शोकेस करती है.

6- वेक अप सिड

अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी वेक अप सिड (Wake Up Sid)  फिल्म 2009 की कॉमेडी ड्रामा है। इसमें कोंकणा सेन शर्मा, रणबीर कपूर, राहुल खन्ना, अनुपम खेर, शिखा तल्सानिया, सुप्रिया पाठक और नमित दास जैसे कलाकार दिखाई दिए थे। यह उन रेयर फिल्मों में से एक है, जिसमें बॉलीवुड ने एक जवान आदमी और उससे बड़ी की महिला के बीच में रोमांस शो करने की ताकत दिखाई है। जहां एक ओर बॉलीवुड हमेशा यही दिखाता है कि हीरो अपनी प्रेमिका को बचाने के लिए आएगा। तो वहीं दूसरी ओर इस फिल्म में उसके बिल्कुल विपरीत दिखाया गया है। इस फिल्म में कोंकोणा सेन शर्मा और सिड को रास्ता दिखाती हैं, जब वे ज़िन्दगी में खुद को अकेला महसूस करता है।

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7- शिरीन फ़रहाद की तो निकल पड़ी

यह 2012 में रिलीज हुई बेला भंसाली सहगल के निर्देशन में बनी कॉमेडी प्रेम कहानी फिल्म है। फिल्म में फराह खान, बोमन ईरानी,शम्मी,कुरुष देबू और डेजी ईरानी अहम भूमिका में हैं। ये फिल्म भी चीनी कम की तरह ही दो मिडिल एज व्यक्तियों शिरीन और फ़रहाद की प्रेम कहानी को दिखाती है यह फिल्म उस स्टीरियोटाइप को तोड़ती है, जो यह कहता है कि 40 की उम्र में प्यार नहीं पा सकते है।

8- क़रीब क़रीब सिंगल

 
2017 में रिलीज हुई करीब करीब सिंगल सुतापा सिकदर के द्वारा निर्मित और तनुजा चंद्र के द्वारा निर्देशित रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। इसमें इरफ़ान ख़ान और मलयालम अभिनेत्री पार्वती थिरोवोतु ने मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म समाज में चल रही प्रेम के बारे में रूढ़ियों को तोड़ती है। इस फिल्म की कहानी मिड 30s में एक जया शशिधरन नाम की एक विधवा महिला के इर्द-गिर्द घूमती है,जो अकेली है और इंश्योरेंस पॉलिसी में काम करती है। इसका प्लाट जया की योगी से मीटिंग और एक यात्रा के बारे में हैं, जो वह एक साथ करते है।

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