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आदिवासी जीवन व्यतीत कर रहा यह शख्स है RBI गर्वनर रहे रघुराम राजन का गुरु

लोगों के पहनावे, वेशभूषा से अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है कि वह कौन है या हो सकता है। हम आए दिन ऐसे लोगो के किस्से कहानियां सुनते रहे हैं। अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध कोट भी है कि “डोंट जज ए बुक बाय इट्स कवर।”

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ठीक ऐसा ही हुआ है मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के एक छोटे गांव में। एक ऐसा शख्स जिसने आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) से अपनी स्नातक की पढ़ाई की। और, बाद में अमेरिका चले गए और जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी की है।

लेकिन, अगर आप इन्हें, कहीं से भी कम समझ रहे हैं तो, बता दें की उन्होंने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रह चुके, रघुराम राजन को आज जो वो हैं वह बना या है। इनका नाम है आलोक सागर (Alok Sagar)

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अब इतना महान आदमी तो ऐशो आराम की जिंदगी ही जी रहा होगा?
नही, यह सच नहीं है। बल्कि, श्री आलोक सागर जी पिछले 33 सालों से मध्य प्रदेश के दूरदराज गांव में जनजातीय जीवन व्यतीत कर रहे है।

पर ऐसा क्यों?

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि, 20 जनवरी, 1950 को दिल्ली में इनका जन्म हुआ। और, आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल में इंजीनियरिंग करने के बाद साल 1977 में वे अमेरिका जाकर, वहाँ से अपनी पीएचडी की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने डेंटल ब्रांच में पोस्ट डॉक्टरेट और समाजशास्त्र विभाग, डलहौजी यूनिवर्सिटी, कनाडा से फेलोशिप भी की थी।

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इसके बाद वह आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर बने। मन न लगने के कारण नौकरी छोड़ दी। सारे ऐशो आराम छोड़ कर ये बैतूल आ गए। जायदाद के नाम पर इनके पास सिर्फ 3 कुर्ते और एक साइकिल है। पर उन्होंने अपना ज्ञान सिर्फ अपने तक ही सीमित न रखा, बढ़ते प्रदूषण, और अन्य समस्याओं को भापा और अब तक वे 50 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके है। ये हमेशा ही बीज इकट्ठा करते रहते हैं, और लोगो तक उन बीजों को पहुंचाते हैं।

हालांकि, आलोक सागर हमेशा से ही आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई का हिस्सा रहे है। उनके अंदर एक नई उम्र जगाने का काम उन्होंने काफी लंबे अरसे पहले ही चालू कर दिया था।

ऐसे सामने आयी आदिवासी जीवन जी रहे आलोक सागर की सच्चाई

दरअसल, बेतुल जिला इलेक्शन के दौरान स्थानीय अफसरों को उन पर संदेह हुआ कि ये आदमी कौन है और यहाँ क्या कर रहा है। इसके बाद, उन्हें वहा से जाने के लिए कहा गया। जिस पर आलोक जी ने इंकार किया। जब उन्हें थाने ले जाया गया और वहाँ हुई जांच के दौरान पता चला की असल में वह आदमी है कौन। और उनसे माफी मांग उन्हें वहाँ से ससम्मान घर भेज दिया गया।

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आलोक सागर आज भी साइकिल चलाते हुए पूरे गांव में घूमते हैं। और, सिर्फ बैतूल ही नही बल्कि ना जाने कितने और ऐसे पिछड़े गावों को जिन्हे हम भूल गए है उनकी मदद में जुटे हुए है।

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