बॉलीवुड की वो 5 फिल्में जिन्हें देखकर रो पड़ेंगे आप

भारत के मध्यमवर्गीय परिवारों में बीते कुछ दशकों में टीवी ही एकमात्र मनोरंजन का स्रोत रहा है। निश्चित तौर पर, मोबाइल के चलन बढ़ने और सस्ते इंटरनेट आ जाने के बाद टीवी का महत्व घट गया है। लेकिन, फिर भी देश की आधी आबादी के लिए बॉलीवुड फिल्में टीवी, मोबाइल या अन्य माध्यमों में हमारी एकमात्र सच्ची दोस्त रही हैं।
इस दौरान हमें कई बेहतरीन फिल्में भी देखने को मिली हैं। ऐसी फिल्में किसी उपहार से कम नहीं हो सकतीं जिन्होंने हमारे दिलों को छुआ है। ऐसी कई फिल्में हैं जिन्होंने हमें सोचने पर मजबूर किया तो कुछ फिल्मों ने हमें पेट पकड़कर-पकड़कर जमकर हंसने पर भी मजबूर किया है।
हालांकि, इन तमाम बातों के बीच भारतीय दर्शकों के साथ एक चीज जो फिल्मों को लेकर जुड़ी होती है वह है इमोशन। ऐसा कई बार देखा गया है, जब हम कोई फ़िल्म देखते हुए बच्चों की भांति रोने लगते हैं।
इसी नोट पर, आज हम एक नजर डालेंगे बॉलीवुड की ऐसी ही 5 बेहद इमोशनल करने वाली फिल्मों की लिस्ट पर:::
1.) कल हो ना हो:
साल 2003 में आयी फ़िल्म कल हो या न हो का नाम इस सूची में पहले नंबर पर है। आप चाहे खुद को कितना भी मजबूत करलें, लेकिन शाहरुख खान, प्रीति जिंटा और सैफ अली खान की इस प्रेम कहानी को देखने के बाद हर किसी की आंखों में आंसू आ ही जाते हैं। खासतौर से तब जब अस्पताल के बिस्तर में अमन यह बताता है कि वह नैना को हमेशा खुद से दूर क्यों करता रहा।
2.) रंग दे बसंती:
रंग दे बसंती साल 2006 में आयी बेहद इमोशनल कर देने वाली फिल्मों में से एक है। वास्तव में, यह उन कुछ फिल्मों में से एक है जिसे देखते हुए आप थक नहीं सकते हैं। इस फ़िल्म की शुरुआत कुछ बेहद शानदार कॉलेज ड्रामा के साथ होती है। लेकिन जल्दी ही यह फ़िल्म देशभक्ति के उस मोड़ में आकर खड़ी हो जाती है जहां गैर-देशभक्त व्यक्ति भी देशभक्त हो सकता है।
3.) तारे जमीं पर:
तारे जमीं पर फ़िल्म हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली और पूरे सिस्टम के अलावा एक परिवार के प्यार के बारे में बहुत कुछ सीखने को लेकर है। इस फ़िल्म में ‘माँ’ गाने पर ईशान के आंसू भरे चित्रों को देखने के बाद हर व्यक्ति भावनात्मक रूप से फ़िल्म से जुड़ जाता है और अपने आसुंओं को नहीं रोक पाता है।
4.) बागबान:
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अभिनीत बागबान एक ऐसी फिल्म है जो हमारे समाज की सबसे बड़ी सच्चाई सामने लाती है। इस फ़िल्म में, अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी को उनके बच्चों द्वारा अलग कर दिया जाता है। क्योंकि, कोई भी उन्हें एक साथ रखते हुए सेवा नहीं करना चाहता है। इसके बाद, अंत से ठीक पहले ‘मैं यहां तू वहां’ गाने को देखते हुए हर दर्शक अपने आंसुओं को छिपाता हुआ नजर आता है।
5.) आनंद:
नई पीढ़ी के अधिकांश लोगों ने इस फ़िल्म को नहीं देखा होगा। हालांकि, इस फ़िल्म के डायलॉग जरूर सुने होंगे। वास्तव में, यह फ़िल्म स्टार्टिंग से ही दर्शकों को अपने साथ जोड़ लेती है।
आनंद फ़िल्म में एक मरते हुए व्यक्ति द्वारा अपने जीवन को खुशियों के साथ जीना और लोगों को जीवन से जुड़ी सीख देना बेहद इमोशनल करने वाला होता है। आप इस फ़िल्म को वीकेंड में अपने दोस्तों या परिवार वालों के साथ बैठ कर देंगे निश्चित ही आप खुद को रोने से नहीं रोक सकेंगे।